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पौराणिक संदर्भ


पौराणिक संदर्भ

देवी सती की कथा


हिंगलाज माता की पौराणिकता का सीधा संबंध देवी सती की कथा से जुड़ा है। देवी सती, भगवान शिव की पत्नी और दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब दक्ष ने भगवान शिव को अपने यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया और उनका अपमान किया, तो सती ने इस अपमान को सहन नहीं कर पाईं। वे अपने पिता के यज्ञ में पहुंचीं और यज्ञ के बीच आत्मदाह कर लिया। सती के इस त्याग से भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में तांडव नृत्य करने लगे।

यह तांडव इतना विनाशकारी था कि सभी देवताओं को यह चिंता सताने लगी कि इस नृत्य से सृष्टि नष्ट हो जाएगी। इस संकट से उबारने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। देवी सती के ये अंग जहाँ-जहाँ गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। इसी प्रकार, हिंगलाज वह स्थान है, जहाँ देवी सती का सिर गिरा था, जिससे इसे एक प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है।


शक्तिपीठों की उत्पत्ति


हिन्दू धर्म में शक्तिपीठों का विशेष महत्व है। ये वे स्थान हैं, जहाँ देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे और इन्हें देवी शक्ति के उपासना केंद्र माना जाता है। कुल मिलाकर 51 शक्तिपीठ हैं, जो भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में स्थित हैं। हर शक्तिपीठ में देवी शक्ति के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और प्रत्येक शक्तिपीठ का एक पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व है।

हिंगलाज शक्तिपीठ इन 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां देवी सती का सिर गिरा था। यह स्थल अद्वितीय है क्योंकि यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के दुर्गम स्थान पर स्थित है, जो तीर्थयात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण यात्रा बनाता है। फिर भी, यह स्थान भक्तों के लिए अत्यधिक आस्था का केंद्र है और यहां की यात्रा जीवन के सबसे बड़े धार्मिक अनुभवों में से एक मानी जाती है।


हिंगलाज माता से जुड़ी प्रमुख कथाएँ


हिंगलाज माता से जुड़ी कई पौराणिक और लोक कथाएँ हैं, जो उनकी महिमा और चमत्कारी शक्तियों को दर्शाती हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, जब एक ब्राह्मण संत बलूचिस्तान के रेगिस्तान में माता की पूजा कर रहे थे, तब माता ने उन्हें दर्शन दिए और उनका उद्धार किया। इस कथा के अनुसार, माता की कृपा से किसी भी कठिन परिस्थिति में फंसा हुआ व्यक्ति माता का आह्वान करके सहायता प्राप्त कर सकता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, एक राजा ने माता हिंगलाज के मंदिर की स्थापना की थी। उस समय माता ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए और निर्देश दिया कि वह वहां एक मंदिर का निर्माण करें। राजा ने माता की आज्ञा मानते हुए मंदिर का निर्माण किया, जो आज भी भक्तों के लिए अत्यधिक पवित्र स्थान है।

इसके अतिरिक्त, खत्री समाज में यह मान्यता है कि माता हिंगलाज उनकी कुलदेवी हैं और माता के आशीर्वाद से उनके जीवन में समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है। यह भी कहा जाता है कि जो लोग माता की सच्चे मन से आराधना करते हैं, उन्हें जीवन की हर कठिनाई से मुक्ति मिलती है।

इन कथाओं से यह स्पष्ट होता है कि हिंगलाज माता का पौराणिक संदर्भ न केवल देवी सती की कथा से जुड़ा है, बल्कि भक्तों के अनुभव और चमत्कारों के कारण भी यह शक्तिपीठ अत्यंत महत्वपूर्ण है। देवी हिंगलाज की कृपा से जीवन की कठिनाइयों का सामना करने वाले भक्तों की अनेक कहानियाँ आज भी समाज में प्रचलित हैं।



Hinglaj Mata