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हिंगलाज माता की पूजा-अर्चना


हिंगलाज माता की पूजा-अर्चना

हिंगलाज माता की पूजा विधि


हिंगलाज माता की पूजा बहुत ही सरल और भक्तिपूर्ण तरीके से की जाती है। उनके मंदिर में किसी भव्य मूर्ति की स्थापना नहीं की गई है, बल्कि एक प्राकृतिक चट्टान को ही देवी के रूप में पूजा जाता है। इसलिए, माता की पूजा अर्चना में विशेष आडंबर की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि भक्ति और श्रद्धा ही प्रमुख होती है।


पूजा विधि के अंतर्गत:

  • भक्त माता की गुफा में प्रवेश करने से पहले शुद्धता का ध्यान रखते हैं। स्नान करके और मन को शुद्ध करके ही मंदिर में प्रवेश किया जाता है।
  • माता की गुफा के भीतर एक पवित्र पत्थर (शिला) को माता के रूप में पूजा जाता है। इस पत्थर पर जल, दूध, और फूल चढ़ाए जाते हैं।
  • माता की पूजा में लाल कपड़ा, नारियल, और सिंदूर विशेष रूप से अर्पित किए जाते हैं।
  • पूजा के दौरान भक्त माता के चरणों में नमन करते हैं और प्रार्थना करते हैं। इस दौरान वे अपने परिवार की सुख-शांति और जीवन की समृद्धि की कामना करते हैं।
  • माताजी की पूजा में दीप जलाना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मिट्टी या धातु के दीपक में घी डालकर माता के समक्ष दीप प्रज्वलित किया जाता है।
  • मंत्रों का उच्चारण और माता के भजन गाए जाते हैं। यह पूजा विधि बहुत ही भक्तिपूर्ण वातावरण में की जाती है, जिससे भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।

प्रमुख त्योहार और पूजन दिवस


हिंगलाज माता की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के समय की जाती है, लेकिन उनके भक्त साल भर पूजा-अर्चना करते हैं। माता के मंदिर में नवरात्रि का विशेष महत्त्व है और इस समय माता के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

इसके अलावा, चैत्र और अश्विन नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें माता की आरती, भजन और विशेष हवन किए जाते हैं। नवरात्रि के अलावा माता का पूजन हर अमावस्या और पूर्णिमा के दिन भी विशेष रूप से किया जाता है।

हिंगलाज माता का मेला हर साल हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। खासकर बलूचिस्तान, सिंध, और भारत के अलग-अलग हिस्सों से भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मकर संक्रांति, शिवरात्रि, और दशहरा जैसे प्रमुख हिंदू त्योहारों के दौरान भी यहाँ विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें माता की विशेष पूजा और आराधना की जाती है।


नवरात्रि और हिंगलाज माता का मेला


नवरात्रि का पर्व हिंगलाज माता के मंदिर के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। दोनों नवरात्रियों (चैत्र और अश्विन) के समय यहां एक विशेष हिंगलाज माता का मेला आयोजित किया जाता है। यह मेला एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होता है, जिसमें माता के भक्त बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।


नवरात्रि के दौरान:

  • मंदिर में भव्य सजावट की जाती है। गुफा के अंदर और बाहर फूलों और दीपों से मंदिर को सजाया जाता है।
  • माता की आरती और भजन संध्या का आयोजन होता है, जिसमें सैकड़ों भक्त भाग लेते हैं।
  • इस समय विशेष हवन और यज्ञ का आयोजन किया जाता है, जिसमें माता के आशीर्वाद के लिए भक्त यज्ञ की अग्नि में आहुति देते हैं।
  • मेले के दौरान अनेक सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, जिनमें माता के जीवन और उनके चमत्कारों का वर्णन किया जाता है।
नवरात्रि के दौरान इस मेले में आने वाले भक्त कई किलोमीटर की यात्रा करते हैं और पैदल चलकर देवी के मंदिर तक पहुंचते हैं। इस यात्रा के दौरान भक्त माता के नाम का जयघोष करते हैं और उनके चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।

मेले का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह होता है कि इसमें जाति, धर्म, और वर्ग की सीमाओं को पार कर हर कोई शामिल होता है। यह मेला एकता और भक्ति का प्रतीक होता है और हर साल यह मेले भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक और धार्मिक अनुभव बनकर आता है।



Hinglaj Mata