14 अगस्त को मनाया जाने वाला विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भारत के इतिहास का एक ऐसा दिन है जो हमें 1947 के विभाजन की पीड़ा, संघर्ष, और बलिदानों की याद दिलाता है। इस दिन की शुरुआत 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। उनकी इस पहल का उद्देश्य न केवल विभाजन के दौरान हुए अत्याचारों को याद करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि आने वाली पीढ़ियां इस त्रासदी से सीख लेकर सामाजिक एकता और शांति के महत्व को समझें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को घोषित करते हुए कहा:
"विभाजन के दर्द को कभी नहीं भुलाया जा सकता. हमारे लाखों बहन-भाई विस्थापित हुए और कई लोगों ने नफरत और हिंसा के कारण अपनी जान गंवाई. लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा."
उनकी इस ऐतिहासिक घोषणा ने पूरे देश को अपने अतीत से जुड़ने का अवसर दिया और एकता के संदेश को मजबूती से प्रसारित किया।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस केवल इतिहास को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि यह हमें प्रेरित करता है कि कैसे विभाजन के पीड़ितों ने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की।
अरोरावंशी और खत्री समुदाय का इतिहास विभाजन की त्रासदी से गहराई से जुड़ा हुआ है। विभाजन के समय, यह समुदाय मुख्यतः पश्चिमी पंजाब, सिंध, और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में रहता था। उनकी भूमि, जो सदियों से उनकी पहचान और संस्कृति का केंद्र थी, उन्हें छोड़नी पड़ी।
अरोरावंशी और खत्रियों ने अपनी मेहनत, साहस और एकजुटता से हर चुनौती का सामना किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस पहल ने यह सुनिश्चित किया कि विभाजन की विभीषिका को कभी भुलाया न जाए। यह दिन न केवल हमारे अतीत की पीड़ा को याद करता है, बल्कि यह एकता, शांति, और सामाजिक समरसता के संदेश को मजबूत करता है।
आइए, हम सब मिलकर इस दिन को याद करें, उन पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करें, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वपूर्ण पहल के लिए आभार व्यक्त करें। यह केवल अतीत का स्मरण नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक प्रेरणा है।
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