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प्रस्तावना


देवी हिंगलाज का परिचय

हिंगलाज माता भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में शक्ति के रूप में पूजा जाता है। माता का प्रमुख मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, जिसे हिंगलाज तीर्थ या हिंगलाज शक्तिपीठ कहा जाता है। यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहां देवी सती के शरीर का एक अंग गिरा था। हिंगलाज माता को खत्रीयों की कुलदेवी के रूप में विशेष सम्मान दिया जाता है ।

हिंगलाज माता की पूजा विशेष रूप से दुर्गा, काली, और अन्य शक्ति के रूपों के समान की जाती है। वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके जीवन की कठिनाइयों को दूर करती हैं। उनके प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति के चलते हिंगलाज माता का नाम पूरे विश्व में प्रचलित है। यद्यपि उनका मंदिर अब पाकिस्तान में है, फिर भी भारत और अन्य देशों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में माता के दर्शन के लिए आते हैं। यह तीर्थस्थान केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।


खत्रीयों की कुलदेवी के रूप में महत्व


हिंगलाज माता को विशेष रूप से खत्री समाज की कुलदेवी माना जाता है। खत्री समाज की पुरानी परंपराओं में माता की पूजा का विशेष महत्व है। खत्रीयों का मानना है कि माता हिंगलाज उनके जीवन के हर संकट में उनका मार्गदर्शन करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। माता के प्रति खत्रीयों की आस्था इतनी गहरी है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले माता का आशीर्वाद लिया जाता है।

इतिहास में भी खत्रीयों के योद्धाओं और नेताओं ने माता हिंगलाज से आशीर्वाद प्राप्त कर विजय प्राप्त की है। खत्री योद्धा जब युद्ध के मैदान में जाते थे, तो माता से प्रार्थना करते थे और उनकी कृपा से ही विजय की कामना करते थे। खत्रीयों के लिए हिंगलाज माता केवल एक धार्मिक देवी नहीं हैं, बल्कि उनका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध भी इस देवी के साथ जुड़ा हुआ है।


शक्तिपीठ की पौराणिक कथा


हिंगलाज माता का स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जो देवी सती की कथा से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया और सती ने यह अपमान सहन न कर आत्मदाह कर लिया, तो भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए। वे सती के शव को लेकर तांडव नृत्य करने लगे, जिससे सृष्टि में विकार उत्पन्न हो गया। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े किए, जो पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरे। जहां-जहां सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

हिंगलाज शक्तिपीठ वह स्थान है, जहां देवी सती का सिर गिरा था। इसलिए यह स्थान विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि माता के दर्शन मात्र से उनके जीवन की समस्त समस्याओं का समाधान हो जाता है।



Hinglaj Mata